अपने ख़त में यूँ ही लफ्जो का सिलसिला रखना ......
मिलने की चाहत को यूँ ही दबाए रखना .....
दूर तुम चाहे जितना भी हो अपनी प्यार का फासला रखना.....
मिलने की कुछ नहीं चाह ,पर यादों का सिलसिला जारी रखना.....
कभी यूँ उजालों से वास्ता रखना .....
शमां के पास भी अपनी दास्ताँ रखना .....
भीड़ में हम भी बैठे हैं, हर शक्स अनजान लगता है.....
पर तुम उस भीड़ में अपनी पहचान कायम रखना ....
कुछ राज है अब मेरे सीने में....
दिन बहुत ही कम है जीने में....
तुम इस राज को कायम रखना ......
हम मरें या जीयें खतों को अपने क़दमों की पास रखना .....
वक़्त बहुत ही कम है बस अपना एक दिन मेरे नाम कर देना.....
दूर से रूह देखेगी हमारी....
उस रूह को यूँ जी झूठा सलाम कर देना .....
फिर न लौट के आयेंगे हम,
न तुझको सतायंगे हम,
ये मेरा तुमसे वायदा है,
बस इस इरादे को कायम रखना .....
यूँ ही उजालों से वास्ता रखना .....
जब भी कभी याद आये हमारी तो अपने पास दीपक जलाए रखना....
उन खतों को सजाये रखना ............
मिलने की चाहत को यूँ ही दबाए रखना .....
दूर तुम चाहे जितना भी हो अपनी प्यार का फासला रखना.....
मिलने की कुछ नहीं चाह ,पर यादों का सिलसिला जारी रखना.....
कभी यूँ उजालों से वास्ता रखना .....
शमां के पास भी अपनी दास्ताँ रखना .....
भीड़ में हम भी बैठे हैं, हर शक्स अनजान लगता है.....
पर तुम उस भीड़ में अपनी पहचान कायम रखना ....
कुछ राज है अब मेरे सीने में....
दिन बहुत ही कम है जीने में....
तुम इस राज को कायम रखना ......
हम मरें या जीयें खतों को अपने क़दमों की पास रखना .....
वक़्त बहुत ही कम है बस अपना एक दिन मेरे नाम कर देना.....
दूर से रूह देखेगी हमारी....
उस रूह को यूँ जी झूठा सलाम कर देना .....
फिर न लौट के आयेंगे हम,
न तुझको सतायंगे हम,
ये मेरा तुमसे वायदा है,
बस इस इरादे को कायम रखना .....
यूँ ही उजालों से वास्ता रखना .....
जब भी कभी याद आये हमारी तो अपने पास दीपक जलाए रखना....
उन खतों को सजाये रखना ............
1 टिप्पणी:
आपको आज पहली बार ही पढा है ..शुभकामनाएं ..लिखते रहें
अजय कुमार झा
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