जब मंजिल मिल जाए तो पता देना......
पहचान रास्तों की हो जाए तो पता देना......
कदम-कदम चलके जो पहुँचो कभी मुकाम पर......
अक्खड़ झाड़ लुढकती , फिसलन......
बहके कदम, भटकता मन जो चुपके से सरक जाए.....
तो पता देना......
सरकती शाम, टपकती रात जो टल जाए....
तो पता देना.....
होगा साथ मचलता मन.......
उठेंगे कदम ठुनकता स्वप्न .....
और जब बहाल हो जाए तो पता देना......
और जब बहाल हो जाए तो पता देना.......
बुधवार, मई 05, 2010
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