कुछ कहना है ......

स्कूल टाइम से ही मुझको कुछ न कुछ लिखने का शौक था... और वह कॉलेज टाइम में जाकर ज्यादा परिपक्व होने लगा... इस टाइम में मैंने बहुत ही रचनायें लिखी पर कभी उन रचनायों को किसी को दिखाया नहीं, कुछ रचनाएं न जाने कहाँ खो गयी और कुछ घर के एक कोने में पड़ी रही , एक दिन उनमे से कुछ रचना हाथ में लग गयी और फिर मन में लिखने की भावना जाग गयी ...याद आ गए मुझको कुछ बीते पल जब ये रचनाएं लिखी थी .... आज उन्ही रचनायों को पेश कर रहा हूँ ...पर न जाने पसंद आये न आये फिर भी एक छोटी सी कोशिश कर ही बैठा और एक ब्लॉग बनाया जिसमे ये सब कुछ जारी कर दिया ....जो आज सब सामने है यही मेरी यादगार है और कोशिश करता रहूँगा की आगे भी लिखता रहूँ ..............

कभी कभी जीवन में ऐसे पड़ाव आते है ...जब आदमी अपने आप में संकुचित हो जाता है ...ऐसे अवस्था में उसके मन की व्यथा जानना बहुत ही कठिन होती है .... और इस समस्या का सबसे अच्छा समाधान है, लेखन की कला, ये बात अलग है की लेखन कला इतना आसान नहीं है जितना समझा जाता है ,किसी के पास लिखने के लिए बहुत कुछ होता है, पर शब्द नहीं होते है ....जिसके पास शब्द होते है, उसके पास लिखने के लिए कुछ नहीं होता है, पर हालात ही ऐसे परीस्थिति है ... जो सब कुछ सिखा देती है इन्ही हालातों के नज्ररिये को अच्छी तरह से परखा जाए तो आदमी अपने आपको लिखते लिखते ही मन की व्यथित अवस्था को काबू में कर लेगा .......







आप और हम

सोमवार, जनवरी 11, 2010

यही जीने का अंदाज सिखाएगा


तुम्हारी यादों का सिलसिला और ये लम्बा सफ़र ....
जीने की चाह और उसका यह बसर ....
क्यों रखते हो जीने के साथ मरने की कसर....
गर एहसास ही तो समझा हमने ......
प्यार को पूजा ही तो समझा हमने.......
फिर क्यों तोड़ते हो सारे बंधन और वह सपने...
हम तो तुम्हारे ही पास है.....
यही जीवन की एक आस है....
इश्क की गहराई तो असीम है ....
नापना तो दूर यह बहुत ही कमसीन है...........
समझा तो जाना तुम ही वो हसीन हो ....
सच हीर राँझा तो एक इतिहास है.............
नया तो हम बनाएंगे ..................
तुम्हारे दिल में रहकर इसके बीज उगाएंगे ............
फिर एक नयी कसक पैदा होगी...............
फिर प्यार का एक खेत लहराएगा...............
यही जीने का अंदाज सिखाएगा.....