आज न कोई दूर , न कोई पास है,
फ़िर भी जाने क्यों मन आज उदास है ?
आज न सूनापन भी मुझसे बोलता,
पात न पीपल पर भी कोई डोलता,
ठिठकी-सी है वायु, थका सा नीर है,
सहमी सहमी रात,चाँद गंभीर है,
गुपचुप धरती, गुमसुम सब आकाश है,
फ़िर भी जाने क्यों मन आज उदास है ?
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