दो घडी बात कर दिल में अगर कोई समा जायेगा......
आँखों ही आँखों में वह सितारा बन जायेगा.......
वक़्त के साथ वह छीप जायेगा ..........
आप ही बताओ की हमारा हाल क्या हो जाएगा.......
हम क्या सह रहे है उनके लिए कौन उनको बतायेगा .................
दूरियां रहकर भी नजदीकियों से मुहब्बत करने लगे..............
इतने फासले तय करके भी कैसे पहुँच पाउँगा ...........
न करूँगा इजहार तो वक़्त ही गुजर जाएगा..................
दिल तो तमाम उम्र भर उनका चेहरा देखता रह जाएगा.................
मन तो रोकता है अपने को पर दिल उसके देखते ही दौड़ जाएगा ............
क्या कहूँ यह बेकरारी मुहब्बत सनम सही जाती नहीं...........
अपने आप से बांध कर भी मुहब्बत तो दबी जाती नहीं...............
बहुत कुछ न कह भी बहुत कुछ वह सुनाती ही रही.....................
रहे न रहे हम गर्दिशे जमाने की इंतज़ार अब तो सहा जाता नहीं.......
गुजरा हूँ जब तेरी दीवारे औ दर की राहों से ........
चाहते हुए भी न देखता हूँ पर दिल देख जाता है तुमको अपनी निगाहों से ................
फिर वही हलचल वही कुछ कुछ कह रहा है हमसे.......
क्यों अपने आपको तड़पाते हो अब कह भी दो उनसे.......
हम क्या कहें..... कैसे कहें..... शायद इस मुसीबत में हैं फसें .....
इश्क की मार बहुत जालिम है इन आँखों से सहें कैसे......
उम्र भर सब रोगों को संभाला है .......
पर इस प्यार के दर्द भरे रोग को संभालू कैसे........
हाय प्यार के दर्द भरे रोग को संभालू कैसे........
पर इस प्यार के दर्द भरे रोग को संभालू कैसे........
हाय प्यार के दर्द भरे रोग को संभालू कैसे......
दीपक शर्मा