कुछ कहना है ......

स्कूल टाइम से ही मुझको कुछ न कुछ लिखने का शौक था... और वह कॉलेज टाइम में जाकर ज्यादा परिपक्व होने लगा... इस टाइम में मैंने बहुत ही रचनायें लिखी पर कभी उन रचनायों को किसी को दिखाया नहीं, कुछ रचनाएं न जाने कहाँ खो गयी और कुछ घर के एक कोने में पड़ी रही , एक दिन उनमे से कुछ रचना हाथ में लग गयी और फिर मन में लिखने की भावना जाग गयी ...याद आ गए मुझको कुछ बीते पल जब ये रचनाएं लिखी थी .... आज उन्ही रचनायों को पेश कर रहा हूँ ...पर न जाने पसंद आये न आये फिर भी एक छोटी सी कोशिश कर ही बैठा और एक ब्लॉग बनाया जिसमे ये सब कुछ जारी कर दिया ....जो आज सब सामने है यही मेरी यादगार है और कोशिश करता रहूँगा की आगे भी लिखता रहूँ ..............

कभी कभी जीवन में ऐसे पड़ाव आते है ...जब आदमी अपने आप में संकुचित हो जाता है ...ऐसे अवस्था में उसके मन की व्यथा जानना बहुत ही कठिन होती है .... और इस समस्या का सबसे अच्छा समाधान है, लेखन की कला, ये बात अलग है की लेखन कला इतना आसान नहीं है जितना समझा जाता है ,किसी के पास लिखने के लिए बहुत कुछ होता है, पर शब्द नहीं होते है ....जिसके पास शब्द होते है, उसके पास लिखने के लिए कुछ नहीं होता है, पर हालात ही ऐसे परीस्थिति है ... जो सब कुछ सिखा देती है इन्ही हालातों के नज्ररिये को अच्छी तरह से परखा जाए तो आदमी अपने आपको लिखते लिखते ही मन की व्यथित अवस्था को काबू में कर लेगा .......







आप और हम

शनिवार, मार्च 13, 2010

वायदा किया था तुमने


वायदा किया था तुमने की दोस्ती निभाओगे ........
हर पल साथ चलने की कसमे खाओगे ..........
कैसा खूबसूरत अंदाज था तुम्हारा.........
की जीवन का हर रंग दिखाओगे..........
पर ऐसा रंग भी देखने को मिलेगा .......
की एक दिन यु ही छोड़कर चले   जाओगे .........
क्या कसूर था मेरा  यही सोचते रहे हम हर पल......
कैसा जिंदगी के साथ खेला किया तुमने ........
की हर जख्म को हम यु ही मलते रह जायंगे ........
क्या कहे अब हम तुमसे यही सोचते रह जायेंगे ........
अब तुम जहां भी जाओ पर किसी को ये बात नहीं बताओगे...........
वरना कोई न करेगा दोस्ती पर विश्वास ..........
ये बात अपने सीने में दफ़न कर जाओगे.........
जिन्दा हूँ इसलिए की जीना भी एक विवशता है...........
क्या करू मेरे यार मरने के लिए भी जिंदगी की  आवश्यकता है .............
क्या करू मेरे यार मरने के लिए भी जिंदगी की  आवश्यकता है .........

1 टिप्पणी:

Chandan Kumar Jha ने कहा…

दर्द से भरी अच्छी रचना । शुभकामनायें


कृप्या वर्ड्वेरीफ़िकेशन हटा दे टिप्पणी करेन में सुविधा होती है । आभार