कितना भी चाहे पर तुमसे दूर न जा सके.....
आना भी चाहे पास तुम्हारे, पर आ न सके......
मजबूरियां खड़ी है राहों पर लेकिन हटा न सके......
जिंदगी की हर तन्हाइयों से लड़ते हैं ......
चाहे न चाहे पर तन्हाइयों से निकल न सके.....
तुम बैठे हो सलौने पर हमें समझ न सके ......
अपनी भी क्या जिंदगी है, चाहा तो तुम्हे बहुत.......
धोखा खाने पर भी तुम्हे भुला न सके .....
क्या जिंदगी है अपनी यही किसी को बता भी न सके .......
पल-पल के प्रशनो का सामना भी न कर सके .....
हर शख्श पूछता है आपके बारे में, पर कुछ भी बता न सके .......
कितना भी चाहे पर तुमसे दूर न जा सके ........
तिल-तिल कर मरना कबूल किया
पर मौत के भी करीब न जा सके ......
पर मौत के भी करीब न जा सके ......
मजबूरियां खड़ी है राहों पर लेकिन हटा न सके......
जिंदगी की हर तन्हाइयों से लड़ते हैं ......
चाहे न चाहे पर तन्हाइयों से निकल न सके.....
तुम बैठे हो सलौने पर हमें समझ न सके ......
अपनी भी क्या जिंदगी है, चाहा तो तुम्हे बहुत.......
धोखा खाने पर भी तुम्हे भुला न सके .....
क्या जिंदगी है अपनी यही किसी को बता भी न सके .......
पल-पल के प्रशनो का सामना भी न कर सके .....
हर शख्श पूछता है आपके बारे में, पर कुछ भी बता न सके .......
कितना भी चाहे पर तुमसे दूर न जा सके ........
तिल-तिल कर मरना कबूल किया
पर मौत के भी करीब न जा सके ......
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