कुछ कहना है ......

स्कूल टाइम से ही मुझको कुछ न कुछ लिखने का शौक था... और वह कॉलेज टाइम में जाकर ज्यादा परिपक्व होने लगा... इस टाइम में मैंने बहुत ही रचनायें लिखी पर कभी उन रचनायों को किसी को दिखाया नहीं, कुछ रचनाएं न जाने कहाँ खो गयी और कुछ घर के एक कोने में पड़ी रही , एक दिन उनमे से कुछ रचना हाथ में लग गयी और फिर मन में लिखने की भावना जाग गयी ...याद आ गए मुझको कुछ बीते पल जब ये रचनाएं लिखी थी .... आज उन्ही रचनायों को पेश कर रहा हूँ ...पर न जाने पसंद आये न आये फिर भी एक छोटी सी कोशिश कर ही बैठा और एक ब्लॉग बनाया जिसमे ये सब कुछ जारी कर दिया ....जो आज सब सामने है यही मेरी यादगार है और कोशिश करता रहूँगा की आगे भी लिखता रहूँ ..............

कभी कभी जीवन में ऐसे पड़ाव आते है ...जब आदमी अपने आप में संकुचित हो जाता है ...ऐसे अवस्था में उसके मन की व्यथा जानना बहुत ही कठिन होती है .... और इस समस्या का सबसे अच्छा समाधान है, लेखन की कला, ये बात अलग है की लेखन कला इतना आसान नहीं है जितना समझा जाता है ,किसी के पास लिखने के लिए बहुत कुछ होता है, पर शब्द नहीं होते है ....जिसके पास शब्द होते है, उसके पास लिखने के लिए कुछ नहीं होता है, पर हालात ही ऐसे परीस्थिति है ... जो सब कुछ सिखा देती है इन्ही हालातों के नज्ररिये को अच्छी तरह से परखा जाए तो आदमी अपने आपको लिखते लिखते ही मन की व्यथित अवस्था को काबू में कर लेगा .......







आप और हम

मंगलवार, अप्रैल 06, 2010

दूर पेड़ की छाँव में

मैं अपने यादों के  दामन को लेकर दूर पेड़ की छाँव में बैठ गया......
मेरे मन में कुछ अँधेरा कुछ प्रकाश सा छा गया.........
अपनी काया, अपना रूप, अपने में ही खो गया.....
मेरा अंतर्मन का यथार्थ रूप कहाँ तक सीमित है ?
हर तरह से उदासी में सोचता रह गया.....
कुछ पल एहसास हुआ की जीवन मेरा कही खो गया.....
मुझे अपने दिल की बातों पर कुछ तरस सा आ गया.....
सोचा, दिल की बातों को भी सुन लूं.........
देखा तो प्रशनो का ढेर सा खड़ा हो गया......
जीवन ही एक प्रशन लगने लग गया.....
मैं खुद ही प्रशनो से उलझकर जवाब ही ढूँढता रह गया.....
खुद की हैसियत  और क़ाबलियत पर हँसता रह गया .....
मुख ने मुस्कराहट दिखानी चाही तो नयन आंसों दिखा गया ......
तभी ठंडी हवा का झोंका आया.......
और एक पल में  जाग गया मैं .......
फिर वही वर्तमान जीवन में आ गया........
जिंदगी नीरस लगी पर सब सहता ही रह गया ......
जिंदगी नीरस लगी पर सब सहता ही रह गया....... 




 

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